सिर्फ माँ
सिर्फ माँ
धरती पर आने से पहले पूछा मैंने भगवान से,
भरी दुनिया में कैसे हो भरोसा इंसान पे ?
मुस्कुराए भगवान और बोले-सुन नन्ही-सी जान,
तुझे मिला है, माँ की बेटी होने का वरदान।
माँ ! वह कौन है ?
कोई परी या जादू की छड़ी ?
बोले भगवान-
धरती से भी बड़ा हृदय है जिसका,
सरगम से भी मीठा लय है जिसका, वह माँ है।
दर्द भूल अपनी गोद में ले तुझे, प्यार से वह चूमेगी।
प्यारी निगाहों से तुम्हें देख, वो खुशी से झूमेगी।
बड़े होने पर तुझे बोलना सिखाए जो,
नन्हे कदम लड़खड़ाने पर चलना सिखाए जो, वह माँ है।
अपना पेट काटकर, बच्चे को खिलाए जो नींद भूल अपनी,
बच्चे को सुलाए जो, वह माँ है।
एक माँ होना खुद में कम नहीं,
क्योंकि सृष्टि की रचना की शक्ति उसके हाथों में है,
दुनिया की सारी बातें उसकी बातों में है।
हर पल वह तेरे साथ है इसका एहसास दिलाएगी,
माँ वह है जो आखिरी सांस तक साथ निभाएगी।
माँ कभी बच्चे का बुरा नहीं सोचती है,
किस्मत के पिटारे से बच्चे की खुशी खोजती है।
इसलिए वह माँ है, उसकी इज्जत करना बच्चे !
क्योंकि माँ के ना होने का दर्द पूछो उस बच्चे से,
जिसके पास रोटी तो है, पर प्यार से,
खिलाने वाले माँ के वह हाथ नहीं।
सोने को बिस्तर तो है,
पर डर लगने पर, माँ की लोरियां का साथ नहीं।
माँ वह हस्ती है जिस का बखान खुद ईश्वर भी ना कर सका।
उसके एहसानों को भी न भर सका।
वह तेरी माँ है, सिर्फ़ माँ !!
