ऐ दोस्त
ऐ दोस्त
बीते हुए समय में बिसरी हुई तेरी याद,
आओ ना दोस्त एक बार उन यादों को ताजा करें।
कभी मैं रूठूं कभी तुमको मनाऊं,
आओ न ! पुरानी यादों में फ़िर से खो चलें।
वक्त गुजरता रहा और हम जुदा हो गए,
साथ बीते पल बस सपने बनकर रह गए हैं,
साथ कि वह मौज मस्तियाँ,
जिंदगी की रफ्तार में खो-सी गईं हैं।
क्या बतायें नए जमाने को ?
वो भी क्या दिन थे, जब वक्त हमारा था।
कभी दिखो तो बताऊँ,
कि अब भी तेरी दरकार है दोस्त !!
अतीत बनते जा रहे वो पल,
अब यादों में ही रह गए हैं।
ऐ दोस्त ! एक दफ़ा मिलो तो सही,
हमें मिलकर दुनिया को बताना है कि,
हमारी दोस्ती किसी के जरूरत की मोहताज नहीं।
इसे जरूरत है तो, बस एक साथ की,
आओ मिलकर फिर से ज़िंदगी जी लें,
सही मायने में फिर से !!
