एक चिट्ठी सैनिक के नाम
एक चिट्ठी सैनिक के नाम
सुनो सैनिक,
मेरी बात सुनो तनिक,
मोबाइल के युग में, एक चिट्ठी तेरे नाम,
चिट्ठी की पहली पंक्ति में कहती तुझे प्रणाम।
सुनो सैनिक,
मेरी बात सुनो इक।
तू तो निभा रहा हर एक जो फर्ज है तेरा,
भला हम कैसे चुकाएँ कर्ज़ तेरा।
मोबाइल के युग में एक चिट्ठी तेरे नाम
मेरे देश की मिट्टी तेरे ही नाम।
सुनो सैनिक,
मेरी बात सुनो तनिक।
एक राखी तरसती बंधने को,
एक ममता तरसती बरसने को।
और तेरे सामने नाग-सी बंदूक,
जीभ निकालती डसने को।
बेटा करता पिता का इंतजार ,
और मंगलसूत्र तरसती पाने को प्यार।
मोबाइल के युग में एक चिट्ठी तेरे नाम,
देश के प्रति तेरे त्याग को, मेरा एक सलाम।
सुनो सैनिक,
मेरी बात सुनो इक।
आग उगलते सूरज में भी,
अपना कोई जिक्र नहीं।
मौत जैसी बर्फ में भी,
अपनी कोई फिक्र नहीं।
तू ही आन तू ही शान,
तू ही बहादुर तू ही जवान।
क्या होगी सुबह तेरी और
क्या होगी तेरी शाम।
मोबाइल के युग में एक चिट्ठी तेरे नाम,
आजीवन लड़कर अब तो मौत ही तेरा आराम।