सिपाही का इंतज़ार
सिपाही का इंतज़ार
देश की रक्षा काज गये तुम
छोड बीरहन को अकेली
दिन में आफताबी कीरने
मुझको शीतल कर जातीं।
पर मधुर ज्योत्स्ना तेरी,
ऐ मेरे चाँद है मुझको जलाती
शाम की सुमधुर बेला,
सब विहग घौसले में आते।
मेरी आँखों के चिराग
बरबस मुझसे है छिन जाते।
रो पडते हैं नैन मेरे पिया
यादों मे पल पल तेरी
नीरव रात की गोदी में,
बेसुध जगती जब चाँदनी
तारों से तुलना कर लेना तुम
मेरी आँखों के मोती
तूफ़ान के जंझावातों सा,
बढ़ता उन्माद है दिल का
अब कोई तो,पता बता दे,
मेरे सरहद पे गये पिया का
जब तिमिर की चद्दर हटाके
भोर की लाली छाती
मैं हदय कमल की पंखुड़ियाँ
स्वागत-पथ पर बिछाती
आजा सरहद के मेरे सिपाही
खिलते पुष्प दल आकर मुझको
संदेश है सुनाते
आ रहे है पिया तुम्हारे
कलकल निनाद कर पंछी
तुम्हारे आगम के पदचाप सुनाते
पागल बन के डोले जिया
आयी पिया मिलन की बेला।
