सीता की अग्नि परीक्षा
सीता की अग्नि परीक्षा
कब तक सीता रावण की नगरी में जलती जाएगी
अग्नि परीक्षा की बलिवेदी पर यह चढ़ती जाएगी,
बहुत हो गया बंद करो पुरुषार्थ की गौरव गाथा को
खत्म करो इस राम राज्य में अग्नि परीक्षा की परिभाषा को।
कब तक केवल यह उपभोग की वस्तु समझी जाएगी
हर रिश्ते में हर युग में केवल यह लुटती जाएगी,
नहीं नहीं अब और नहीं निज हित को अब रण होगा
अस्तित्व के लिए जीवन में कब तक ऐसे समर्पण होगा।
स्वाभिमान हित की रक्षा अब खुद तुझको करना होगा
ऐ भारत की बेटी अब ना बलिवेदी पर चढ़ना होगा,
तू केवल अबला ही नहीं है सिंह सवारी करती है
प्रेम की देवी है तू ममता और करुणा पर मरती है।
तू मां की ममता बहन स्नेह का और पत्नी का प्यार है
दो कुल की शोभा है तू खुशियों की संसार है,
वेद पुराण बखाने तुझको तेरी महिमा के गुण गाए
पूजनीय है रूप तेरा सादर शिवम है शीश झुकाए है।