शून्य सी भीड़
शून्य सी भीड़
शून्य सी भीड़
और खामोश सा शोर
बेशरीर सा शरीर
हवा में ही
उड़ता हुआ तुम्हारा बिम्ब
उसमें से निकलती हुई
मधुर आवाज
और जिधर भी जाओ
उड़ती हुई खुशबू
अब कैसे कह दें तुम हो
कैसे कह दें तुम नहीं हो।
शून्य सी भीड़
और खामोश सा शोर
बेशरीर सा शरीर
हवा में ही
उड़ता हुआ तुम्हारा बिम्ब
उसमें से निकलती हुई
मधुर आवाज
और जिधर भी जाओ
उड़ती हुई खुशबू
अब कैसे कह दें तुम हो
कैसे कह दें तुम नहीं हो।