शूल बग़ैर
शूल बग़ैर
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शूल चुभे बग़ैर अपनो की पहचान न होगी
रोये बग़ैर तेरे लबों पर मुस्कान न होगी
जब तक तेरा जीवन फूलों सा बना हुआ है,
तब तक तेरे पास रिश्तेदारों की कमी न होगी
ये शूल ही है, ये तेरे जीवन का मूल ही है
शूल मिले बग़ैर तुझे जिंदगी की कीमत पता न होगी
सम्भल जा साखी, शूल को बना अपना साथी,
शूल को मित्र बनाये बग़ैर
तुझे अच्छे मित्र की ख़बर न होगी
इसलिये कह रहा है विजय सुन ले तू साखी,
इस दुनिया मे शूल मिले बगैर तो,
लोगों को ख़ुदा तेरी भी याद न होगी।