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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

शूल बग़ैर

शूल बग़ैर

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शूल चुभे बग़ैर अपनो की पहचान न होगी

रोये बग़ैर तेरे लबों पर मुस्कान न होगी


जब तक तेरा जीवन फूलों सा बना हुआ है,

तब तक तेरे पास रिश्तेदारों की कमी न होगी


ये शूल ही है, ये तेरे जीवन का मूल ही है

शूल मिले बग़ैर तुझे जिंदगी की कीमत पता न होगी


सम्भल जा साखी, शूल को बना अपना साथी,

शूल को मित्र बनाये बग़ैर


तुझे अच्छे मित्र की ख़बर न होगी

इसलिये कह रहा है विजय सुन ले तू साखी,


इस दुनिया मे शूल मिले बगैर तो,

लोगों को ख़ुदा तेरी भी याद न होगी।


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