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Neha Yadav

Romance

3  

Neha Yadav

Romance

श्रृंगार

श्रृंगार

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वो शाम जब थी सिंदूरी

ख़तम हो गई बीच की दूरी


भरी मांग मेरी जब तुमने 

ख़तम हो गई सदियों की दूरी


पहनके चूड़ी, कंगना मैं

जब आयी तेरे आंगना मैं


हो गई मैं तेरी अर्धांगिनी

तुम मेरे साजन संसार


पहन पांव में मैं पायल

घर आंगन करती हूं पावन


मांग से लेके पांव तक 

बस पहचान तुम्हारी है


अब तो साजन ऐसा है

तेरी जान हमारी है


तू है तो श्रृंगार हमारा

तुझसे ही तो प्राण हमारी है।।।


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