श्रीमद्भागवत -६२ ;ब्रह्मादि देवताओं का कैलाश जाकर महादेव को मनाना
श्रीमद्भागवत -६२ ;ब्रह्मादि देवताओं का कैलाश जाकर महादेव को मनाना


मैत्रेय जी कहें फिर विदुर से
रूद्र के सेवकों से हारकर
समस्त देवता पहुँच गए थे
पास ब्रह्मा के, बहुत वो डरकर।
ब्रह्मा जी और नारायण जी
इस भावी उत्पात को पहले से जानते
इसी लिए वो नहीं गए थे
प्रजापति दक्ष के इस यज्ञ में।
उन्होंने कहा तब देवताओं को
परम समर्थ तेजस्वी पुरुष से
कोई दोष बन भी जाये तो
अपराध ना करो उसके बदले में।
फिर भी जो अपराध करे तो
उस मनुष्य का ना भला हुआ है
यज्ञ में भाग ना शंकर को दिया
घोर अपराध तुमने किया है।
परन्तु शंकर हैं बहुत दयालु
शीघ्र ही प्रसन्न हो जायें
शुद्ध ह्रदय से क्षमा मांगकर
पैर पकड़ उनको मनाएं।
यदि तुम लोग चाहते हो कि
ये यज्ञ फिर से आरम्भ हो
पूर्णता के लिए यज्ञ की
जल्दी से क्षमा मांग लो।
नहीं तो उनके कुपित होने पर
असंभव है लोकपालों का बचना
समस्त लोक भी बच ना सकेंगे
ध्वस्त होगी ये सारी रचना।
इस प्रकार कहकर ब्रह्मा जी
प्रजापतिओं के साथ हो लिए
पितरों को भी साथ ले लिया
श्रेष्ठ पर्वत कैलाश को गए।
बड़ा मनोहर ये पर्वत है
नंदा नदी बहती है वहां
इतना रमणीय स्थान देखकर
देवताओं को बहुत आश्चर्य हुआ।
अलका नाम एक सुंदर पूरी वहां
नंदा, अलकनंदा दो नदियां
देवांगनाएँ जल क्रीड़ा करें
राजधानी कुबेर की है यहाँ।
अलकापुरी के आगे वन में
देवताओं को वट बृक्ष दिखा वहां
सो योजन ऊँचा ये वृक्ष और
नीचे शंकर विराजमान जहां।
सनन्दनादि, सिद्धगण, कुबेर जी
सेवा उनकी कर रहे थे
शंकर जी जटा, दण्ड, मृगचर्म
और चन्द्रमाँ धारण किये थे।
लोकपालों सहित मुनिओं ने
शंकर को प्रणाम किया था
वहां बैठे सिद्धगाणों ने
ब्रह्मा जी का सत्कार किया था।
रूद्र से ब्रह्मा जी बोले तब
सम्पूर्ण जगत के स्वामी आप हैं
अपनी लीला से ही संसार की
रचना, पालन, संहार करते हैं।
प्रभु की माया से मोहित होकर
पुरुष अगर अपराध करते हैं
साधुपुरुष वो अपराध भूलकर
उस पर भी कृपा करते हैं।
भगवान,आप सबके मूल हैं
पूर्ण करने वाले यज्ञों को
आप को पूरा अधिकार है
पाएं आप अपने भाग को।
दक्ष यज्ञ के याजकों ने
आपको यज्ञभाग नहीं दिया था
ये यज्ञ इसी के कारण
आप से विध्वस्त हुआ था।
अब आप इस अपूर्ण यज्ञ का
पुनरुद्धार करने की कृपा करें
कृपा करें कि दक्ष जी उठें
भग्देवता को फिर से नेत्र मिलें।
भृगु की दाढ़ी मूंछ आ जाये
पूषा के पहले सामान दाँत हों
घायल देवता ठीक हो जाएं
आपके भाग से यज्ञ पूर्ण हो।