श्रद्धांजली
श्रद्धांजली


हमें हँसना सिखला कर,
ख़ुद दर्द दिल में सहते रहें।
ख़ुद इतने मजबूर थे फिर भी,
दूसरों को सहारा देते रहें।
सही मायने में हीरो थे तुम,
कितनी ज़िन्दगियों को बदल दिये।
सब विस्मय् में खड़े रहे,
सौनक बनर्जी ! तुम कहॉं गये ?
इनके लिये कुछ कर पाने की,
कहॉं किसी में जज़्बात थी।
मिस व्हीलचेयर इंडिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट,
की तुम्हीं ने तो शुरुआत की।
कैसे अपनी कमज़ोरी को,
ताक़त बना सकते हैं हम।
चाहत हो तो भटके हुओं को भी,
राह दिखा सकते हैं हम।
जीने का जज़्बा सिखा कर,
घर के रौनक़ तुम कहॉं गये ?
सब विस्मय् में खड़े रहें,
सौनक बनर्जी तुम कहॉं गये।