श्रद्धांजली
श्रद्धांजली
ये अंत उनका अंत नहीं
जीवंत जिनका वृतांत हो
वो अधर उनके मौन नहीं
शब्द जिनका विस्तार हो।
व्यक्तिव के थे वो धनी,
भावनाओं के दर्पण थे
काव्य में परिपक्व वो,
कर्तव्यों का समर्पण थे।
वो मृत्यु भी थी अचम्भित बड़ी
परंतु हठ पे अपनी रही अड़ी
लड़ते रहे अटल, अटल सत्य से
तिरंगे पे बात जब आन पड़ी।
थामे रहें अपनी साँसें वो
उस स्वर्णिम दिन के दिन,
जिए हर पल जिसके लिए,
ध्वज को कभी झुकने न दो।
ये अंत उनका अंत नहीं
जीवंत जिनका वृतांत हो
वो अधर उनके मौन नहीं
शब्द जिनका विस्तार हो
श्री अटल बिहारी वाजपयी जी।।
