श्रद्धा सुमन
श्रद्धा सुमन
युग का एक महानायक
दुनिया को अलविदा कह गया
बहुआयामी व्यक्तित्व से वह
इतिहास में अपना नाम कर गया
सर्वस्व किया देश पर अर्पण
निज का कुछ न ध्यान किया
अपनी सशक्त लेखनी से
साहित्य में योगदान दिया
कुशल वक्ता दक्ष राजनीतिज्ञ
सफल किया परमाणु परीक्षण
सियाचिन की चोटियों पर
लहराया भारत का परचम
जंग लड़ी आज़ादी की
इस बार लड़ाई यम से थी
मौत ने दी इक दिन की मोहलत
दलील जब उसने वतन की दी
राजनीति में रह कर भी
दामन में कोई दाग न हो
बिरले ही होते हैं ऐसे
डिगता जिनका ईमान न हो
श्रद्धा सुमन अर्पित हैं उन्हें
नमन आज जग करता है
अमर हैं उनकी कविताएं
ध्रुव सा “अटल” चमकता है...!