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Govind Narayan Sharma

Romance

4  

Govind Narayan Sharma

Romance

शोला शबनम

शोला शबनम

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छोटी छोटी बातों में मुझे पड़ना नही आता ,

तू ये न समझ कि मुझे लड़ना नही आता !


बेकार है तमाम तालीम उस शख्सियत की ,

 गमजदा लोगो के चेहरे पढ़ना नही आता ! 


जो पढ़ लिया करते थे कभी नजरें हमारी, 

उन्हेंअब दर्द भरी चीखे भी सुनाई नही देती !


नफरत वो अपने दिल मे मुझसे करने लगी, 

हवा के झोंके से दबे शोले सी सुलगने लगी !


बिना नजरें मिलाये हाथ मिलाना जरूरी न था,

बिन तमन्ना के मिलने की कोई वजह न थी !


लोग न जाने कितनी फिजूल बातें करते रहे,

मेरी जुबां पर सिर्फ तेरा ही नाम आता रहा !


नदी के दो किनारों को मिलते हुए नही देखा, 

इस घाव को कभी मुकम्मल होते नही देखा!



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