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Sunil Maheshwari

Tragedy

3  

Sunil Maheshwari

Tragedy

शक क्यूँ किया करते हो

शक क्यूँ किया करते हो

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उस पावन

देह पर तुम

शक क्यूं

किया करते हो,

आधुनिकता के

इस युग में भी 

तुम बख्श

क्यूं नही 

दिया करते हो।


है नहीं लाचार वो 

फिर क्यूँ प्रताड़ित

किया करते हो।

उस पावन देह पर 

तुम शक क्यूं किया

करते हो।


सब की जरूरत का 

ख्याल वो रखती 

बन के एक 

पतिव्रता नारी 

सीता की 

अग्निपरीक्षा 

फिर क्यूं 

लिया करते हो

उस पावन देह पर तुम 

शक क्यूं किया करते हो 


वो निर्मल है,

वो निश्छल है,

वो गम्भीर 

है वो कुछ चंचल 

मृत्यु के शैय्या पर 

फिर क्यूं सुलाया 

करते हो।

उस पावन देह पर 

तुम शक क्यूं 

किया करते हो।


क्यो दे वो हर दिन 

परीक्षा

तुम निर्णायक होते हो 

कौन

गहरे घाव भी जो सहले 

वो घाव के तुम 

अधिकारी कौन 

यूं भाईचारे में कलंक 

लगाकर तुम 

रौब क्यूं दिखाया 

करते हो 

उस पावन देह पर 

तुम शक क्यूं किया 

करते हो।


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