शिवरायां
शिवरायां
हे शिवनेरि के शिवा, हे रायगढ के शिवा, क्या खत्म हो गई तेरे साथ ही समर्पित जनसेवा ?
क्या तेरे सिपाही सिर्फ नगन्य कर्म और सेवा, के बदले तेरे नाम से खा रहे मेवा
क्या बलिदान, वीरता,राष्ट्र सेवा, मातृसेवा ? लुप्त हो गई तेरे साथ, रायगढ में,हे शिवा।
क्या आज देश व राष्ट्रभक्ति से बढ़कर हो गई ? स्वार्थ, अहंकार, अभिव्यक्ति के विचारों की सीमा, हे शिवा।
तुने तो दिया सभी धर्म को एक सी समानता,
तेरे लिए सर्वोपरी था स्वराज्य व धर्म मानवता,
क्या मानवता और मातृभूमि से बढ़कर ?
हे शिवा, हो गया धर्म और धर्म का ठेकेदार।
तू सबके दु:ख-दर्द और परेशानियों का था ज्ञाता,
इसलिए सभी कहते तुझे जन-जन का अन्नदाता।
तेरे समान मातृसेवक और जन सेवक,
आज दूर - दूर तक नहीं नजर आता।
तू राजा नहीं था, मातृभूमि और बहुजन संरक्षक,
चारों तरफ नजर आते अभी आम जनता के भक्षक।
सभी हो गये सयाने और पाई कर्तव्य मुक्ति,
तेरे आदर्श और कार्य की देकर आहुति।
हर साल मनाकर शिव जयंती,
सुनाने के लिए तेरी अमर गाथा क्रांति।
तेरे नाम से चलाते सभी अपनी राजनीति,
नेता कर रहे है तेरे जनता की अब दुर्गति।
तेरे जन्म से शिवनेरिगढ जगमगाया था,
तेरे मृत्यु से रायगढ अमर हुआ था।
शिवराया बनी तेरी अमर जीवन गाथा,
शान से उंचा हुआ था भारतीयों का माथा।
जय भवानी, जय शिववाणी,
अनोखी है तेरी जीवन की कहाणी।
सदा कायम रहे हमारी जोश और जवानी,
हौसले के लिये प्रेरणा बनी रहे हिरकनी।