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Aashish Nagar

Drama Others

2.6  

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शिव काव्य

शिव काव्य

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शिव से सुंदर है ये जीवन

शिव से सुंदर है ये मन


ब्रह्मा और विष्णु में कौन है बड़ा

ऐसा दोनों में युद्ध छिड़ा

शिव ने प्रकट किया लिंग रूप

दोनों ने देखा उनका विराट स्वरुप


आदेश दिया गया दोनों को

देख कर आओ आदि अंत को

ब्रह्मा ने की चालाकी

कहा देख कर आ गए अंत आदि


शिव को आया बड़ा गुस्सा

ब्रह्मा ने कहा ये झूठ कैसा

कि निषेध उनकी पूजा विशेष

पर यज्ञ में दिया पद विशेष


विष्णु थे बड़े सच्चे

शिव ने दिए पद अच्छे

परमपूजनीय का दिया वरदान

क्योकि गुरु का किया सम्मान


शिव की परमभक्त माँ उमा

शिव भक्ति में पावन था समां

पाया शिव को पति रूप में

चली गयी रहने कैलाश में


दक्ष ने किया उमापति का अपमान

उमा ने अग्नि को दिया देह दान

शिव ने किया तांडव भारी

त्रहिमान करने लगी प्रजा सारी


काटा दक्ष का मस्तक

लगा दिया बकरे का मस्तक

अंत में बने बावन शक्ति धाम

खास लोगो को भी करते है जो आम


ये कथा थी बड़ी विचित्र

बड़े भयानक होंगे इसके चित्र

आगे है माँ पार्वती की कथा प्यारी

जो थी परम पवित्र नारी


माँ पार्वती का हुआ जन्म

शिव भक्ति में रही वो रम

जैसे जैसे हुई वो बड़ी

शिव भक्ति की उमंग बड़ी


नारद ने दिया ॐ नमः शिवाय मंत्र

चढ़ाती गयी वो शिवलिंग पर बेलपत्र

कठिन तपस्या करती गयी

अंत में शिव को पा गयी


गणेश का काटा शिव ने शीश

पर दे गया ये गणेश को आशीष

प्रथम पूजनीय की पदवी पायी

दुनिया उन्हें मानती है भाई


कार्तिकेय है उनको प्रिय

जो है परम आदरणीय

दक्षिण चले गए वो शिवप्रिय

बन गए दक्षिण में सर्वप्रिय


काशी में है शिव

कैलाश में है शिव

बारह ज्योतिर्लिंगों में है शिव

आदिशक्ति में है शिव


मार्कण्डेय भक्त महान

दीर्घ आयु का मिला वरदान

निषाद था भक्ति से अनजान

मिला शिव से भक्ति वरदान


शिव से है ब्रह्मज्ञान

शिव पुत्र उनसे भी महान

गणेश चतुर्थी पावन त्यौहार

जो करे गणेश भक्ति का गुणगान


शिव भक्ति में खो गया मैं

जो बसे है मेरे मन में

शिव सुनेंगे मेरी पुकार

पुकारता रहूँगा बारम्बार


मुझे इस जीवन में

शिव तत्व जगाना है मन में

जुदा न हो पाऊँ कभी शिव से

हमेशा रहू शिव के मन में


बस यही चाहता हूँ जीवन में

शिव प्रेम में खो जाऊं मै

जब तक जियूं मैं

काशी में रहू मैं


शिव से सच्चा है प्रेम

मिलता है उनसे माँ सा प्रेम

जो है ममतामयी प्रेम

जो है निश्छल प्रेम


पिता का पुत्र के प्रति प्रेम

ऐसा करते है शिव प्रेम

शिव से भक्ति का प्रेम

शिव से अतुलित प्रेम


जो बसे है हर आत्मा में

ऐसे गुण है मेरे परमात्मा में

परमानन्द में परमात्मा शिव

रखना होगी शिव भक्ति की सुदृढ़ नीव


आनंद है शिव भक्ति में

प्रेम है शिव भक्ति में

बंधन से मुक्ति है शिव भक्ति में

स्वतंत्रता है शिव भक्ति में


बांधती नहीं है शिव भक्ति

मुक्त करती है शिव भक्ति

माया से परे है शिव भक्ति

शीतल छाया है शिव भक्ति


मेरा दिल ये हर बार सोचे

मेरे आंसू तो आकर कोई पोछे

पर कोई नहीं है दुनिया वाला

बस शिव है सच्चे दिल वाला


शिव ने मुझे इस तरह देखा

कि मुझे ये जीवन जीना ही होगा

आये शिव इस तरह मेरे जीवन में

मेरे हर पल में हर क्षण में


जाऊँगा वह जंहा से आये हैं शिव

नहीं होऊंगा व्याकुल रटता रहूंगा शिव शिव

इस जीवन में शिव के साथ ही रहूंगा

ॐ नमः शिवाय जपता ही रहूंगा


शिव के साथ चलता रहूंगा

प्रेम बांटता रहूंगा

ज्ञान पाता रहूंगा

पवित्र बनने की कोशिश करूंगा


अगर न कर पाया कोई भी कार्य

तो करता रहूंगा एक ही कार्य

शिव भक्ति फ़ैलाने का कार्य

शिव को सबका बनाने का कार्य


जब अंत समय निकट आएगा

शिव का दिव्य विमान नज़र आएगा

जाऊँगा शिव धाम की ओर

शिव के हाथो में है मेरी डोर


पाऊंगा शिव चरणों में स्थान

महादेव है सबसे महान

लुटा दू उनपे ये सारा जहाँ

वो है मेरा अभिमान


अंत में मोक्ष पा जाऊँगा

फिर लौट कर इस दुनिया में नहीं आऊंगा

अगर आना ही पड़ा इस दुनिया में

तो शिव को साथ लेकर ही आऊंगा


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