कृष्ण काव्य
कृष्ण काव्य
बांसुरी की मधुर धुन
कृष्ण की बोली है सुन
कृष्ण को अपना बनालूं
बड़े दयालु बड़े कृपालु
जग्गन्नाथपुरी है उनका वास्
है गोकुल बहुत खास
मथुरा है जन्मभूमि
है द्वारका कर्मभूमि
जो उनको अपना बनाएगा
परमधाम पहुँच जाएगा
जो सुनते है सबकी
हर प्राणी के मन की
कहता है कोई गोपाला
कोई कहता है नंदलाला
सबके है वो लड्डूगोपाल
हर माता के है वो लाल
शिव बन गए बृज की नारी
चले गए वो भोले भंडारी
हम हे उनके आभारी
जो दे गए सुंदर कथा प्यारी
हरे कृष्णा है मंत्र महान
मुक्ति दायक है मंत्र महान
कृष्णा और राम बसे इसमें
प्रेम के रूप में है वो सबमे
जो कृष्णा को ध्यायेगा
दिव्य रूप बन जायेगा
परम धाम पहुँच जाएगा
ब्रह्म बांसुरी बजाएगा
