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Vandana Srivastava

Inspirational

4.5  

Vandana Srivastava

Inspirational

शिलाखण्ड

शिलाखण्ड

2 mins
406


देखी सभी ने कामयाबी मेरी पांव के छाले नहीं देखे,

कॉंटों भरा रहा जीवन मेरा घाव हृदय के नहीं देखे..!!


ओजस्वी सूर्य की भॉंति जो आज मेरी चमक है ,

तुम्हें क्या पता कितनी नाकामयाबियों की धमक है,

उलझें हैं लहूलुहान करते बेहिसाब कॉंटे मेरे दामन से,

पैरों पर पड़े हैं अनगिनत छाले दिखाती नहीं मैं जान के,

देखी सभी ने ............


फूलों की नाजुक कलियों सी नहीं पाली गई हूं मैं ,

पत्तों पर पड़ी नर्म ओस की ठंडक से नहा़ई नहीं हूं मैं,

थाम के दामन मुश्किलों का शिलाखण्ड हुई हूं मैं,

संघर्षों के बादलों पर कड़कती बिजली हुई हूं मैं,

देखी सभी ने .............


तपती रेतीली धूप में नंगे पाँव कई मीलों चली हूं मैं,

अभावों का बना के तकिया चमकीले सपने बुनी हूं मैं ,.

सर पर लादे जिम्मेदारियों की ग़ठरी मंजिले चढ़ी हूं मैं,

लालटेन की मंद रौशनी में फटी किताबों से पढ़ी हूं मैं ,

देखी सभी ने ..............


सफलता की सीढ़ी में बाधाएं आकर लिपटती रहीं मुझसे,

मेरी अनगिनत नाकामयाबियॉं जोरों से हंसती रहीं मु़झपे ,

दृढ़ था मेरा भी विश्वास सफलता दूर नहीं अब मुझसे,

आत्मविश्वास से भरी हुई छू ही लिया ऩभ को सूर्य जैसे,

देखी सभी ने ................


आज ये जो मेरी कहानियां सुनने सुनाने को आतुर हैं,

कल ये सब नजरअंदाज करते बड़े शातिर चातुर्य हैं,

सफलता से अधिक प्रेरित करती है स्वेद युक्त असफलता,

झुकेगी दुनिया सुनायेगी कहानियॉं जो दिखाई तुमने वीरता,

देखी सभी ने ..................


घबड़ा कर राह के पत्थरों से जिन्होंने मंजिल का ख्वाब छोड़ा ,

विचलित हो गये मुश्किलों से अपने ही हाथों पथ को मोड़ा,

रूष्ट हो जाती हैं मंजिलें उनसे फिर उनको ना भाती हैं,

छोड़ कर साथ उनका फिर हमेशा के लिये चली जाती हैं,

देखी सभी ने .................


प्रेम करते हैं जो स्वयं स्वप्न से वो बा़धाओं से कब डरते हैं,

दृढ़ निश्चयी अडिग हो जो पथों पर निडर हो आगे बढ़ते रहते हैं,

बनती हैं कहानियॉं उनकी ही किस्से अखबारों में छपते हैं,

सम्मानित करती है दुनिया वो गगन में सूर्य सरी़खे चमकते हैं,

देखी सभी ने ..................


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