शिकवा मोहब्बत का
शिकवा मोहब्बत का
फसाने तुम्हारे भुलाए कहां है,
अभी दिल पे ताले लगाए कहां हैं..!!
दिखो जब जहां भी हुआ दिल जवां है,
मुहब्बत किया है भुलाए कहां हैं..!!
मिलो फिर बताए कि रूह ए रवां हो,
इश्क की तमन्ना दबाए कहां हैं..!!
मिले राह में खूब सारे मगर,
तुम्हें छोड़ दिल में बसाए कहां हैं..