देव — संयम की शक्ति
देव — संयम की शक्ति
बचपन से ही बुद्धिमान, पर भीतर आग छुपाए,
गाँव के लोग कहते — "शांति उसकी गज़ब की, पर क्रोध से सब कुछ भस्म हो जाए।"
लोग उकसाते रहे, पर देव मुस्कुराकर मोड़ देता राह,
शब्दों की नर्म ताकत से हर विवाद को करता साफ।
पिता ने कहा — "क्रोध की बातें रिश्तों में छेद करती हैं,
माफ़ी मांग लो, पर निशान रह जाते हैं।"
यह सीख उसके मन में गहरी उतर गई,
और जीवन में संयम की राह उसे मिली।
स्कूल में एक दिन, दोस्त ने फैलाया भ्रम,
मन भरा गुस्से से, जैसे टूटे सब संबंध, सब कर्म।
पर देव ने साँस ली, आँखें बंद कीं, सोचा गहराई से,
'गुस्से में प्रतिक्रिया दूँ, तो सबकुछ बिगड़ जाएगा।'
वह चुप रहा, शब्दों ने डोर नहीं तोड़ी,
धीरे-धीरे सच सबके सामने आया, सम्मान मिली बड़ी।
लोग बोले — "सहनशीलता उसकी शक्ति है,
क्रोध नहीं, संयम है उसका असली वशीकरण।"
समय बीता, मन शांत हुआ, सकारात्मकता पनपी,
सच्चे दोस्त मिले, जीवन की राह आसान बनी।
देव समझ गया — "शांति मेरा बल है, क्रोध मेरा विनाश,
जो क्रोध पर नियंत्रण न रख सके, उसका सामर्थ्य बिखर जाएगा प्रकाश...D.T
लेखक : देवाशीष तिवारी ✍️
