STORYMIRROR

Devashish Tiwari

Abstract Classics Others

4.5  

Devashish Tiwari

Abstract Classics Others

"ठेका हर मोड़ पे" 🥃

"ठेका हर मोड़ पे" 🥃

1 min
5




सड़क पे स्कूल के आगे ठेका,
मंदिर के पास भी झगड़ा-झमेळा।
सरकार कहती – रोज़गार दे रहे,
पर जनता कहती – जीवन ले रहे! 

100 मीटर नहीं, बस दो कदम पर,
मदिरा का महल सजा है नगर भर।
बच्चे डरें, और माँ छिपे चेहरा,
ये विकास नहीं, ये तो ज़हर है गहरा। 😔

जहाँ रौशनी होनी थी शिक्षा की,
वहाँ बोतलें चमकती हैं नशा की।
जो बोले सच्चाई – वो ग़लत कहलाए,
जो बेचे नशा – वो “बिजनेस” कहलाए! 💬

सरकार सुन ले जनता की बात,
ठेके हटे – तभी होगा विकास का साथ।
शराबी चाहे जंगल में भी पहुँच जाए,
पर जनता अब आवाज़ उठाए.....D.T 🔥

By Devashish Tiwari✍️ आवाज़ जनता की


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract