शिक़वा #31writingprompts
शिक़वा #31writingprompts
हालात से शिक़वा है, तुमसे भी शिकायत है,
दहकते हुए दिल को सबसे ही शिकायत है।
कुछ न कर पाने की लाचारी है,
कुछ न कह पाने की बेचारगी है।
इन हालातों से पहली मर्तबा गुज़रे हैं,
चिंता से परे थे, जिस राह पर आ ठहरे हैं।
धूल-धूसरित इस डगर से दो चार अब हुए हैं,
ज़िन्दगी के इस मुश्किल मोड़ पर खड़े हुए हैं।
अब तो आशा भी दामन छोड़ चुकी ,
निराशा अपनी भयावह जड़ें फैला चुका।
ज़िन्दगी को अब सीमित दायरे में बाँध लिया ,
अकेले थे, अकेले जीने का ही सोच लिया।
मन में सोच लिया, ये ठान चुके,
ख़ामोशी को हम अब अपना चुके।
परेशान हैं फ़िर भी खामोश रहकर,
ख़ामोशी से अब हमारी तुमको ही शिकायत है।
पर हमें तो हालात से शिक़वा है, तुमसे भी शिकायत है।
दहकते हुए दिल को सबसे ही शिकायत है।