शिक्षा हुई मुनाफाखोर
शिक्षा हुई मुनाफाखोर
निजी हाथ में आकर शिक्षा हुई मुनाफाखोर,
कैसे बालक पढ़ें हमारे, कैसे पढ़ें किशोर।
मज़दूरों की कौन कहे, रोटी के भी हैं लाले,
फसलें घाटे में किसान की हालत है कमजोर।
मध्यवर्ग रोता ही रहता महंगाई का रोना,
खींच रहा जीवन की गाड़ी सारी शक्ति बटोर।
सत्ता का हर केंद्र हाथ में आया अभिजातों के,
जिनके धन-वैभव का कोई मिलता ओर न छोर।
शिक्षा के दो धड़े कर दिए भारत की सत्ता ने,
दोनों के शिक्षा के स्तर में भेद किया घनघोर।
प्रतिभाएं निर्धन के घर की बिना पढ़े कुम्हलाईं,
धनिकों की बौनी प्रतिमाएं काबिज चारों ओर।