शीर्षक - स्वर और साज
शीर्षक - स्वर और साज
हर धड़कन की सांस हो तुम
जैसे वीणा की आवाज हो तुम
मेरे स्वर और साज हो तुम
मन तारों की झंकार हो तुम।
समझ भी जाओ प्रीत हमारी
आई फिर क्यों याद तुम्हारी
कैसे मन को समझाएं हम
कैसे दिल को बहलायें हम।
करें जतन क्या जो आओ तुम
करें नमन हम जो आओ तुम
खिल उठे दिल की हर क्यारी न्यारी
प्रीत हमारी जो समझ जाओ तुम।