Hitesh pal
Tragedy
मुझे नफ़रत हो गयी उस शहर से
जहाँ ख़ून पसीना बहाया था
माँगा ही क्या था मैं ने
सिर्फ़ दो वक़्त की रोटी
वह भी नहीं दे पाया था
मुसीबत मे आज मेरा
गाँव ही काम आया था
जहाँ ख़ून पसीना बहाया था ।।
तेरी याद पिया
अधूरी मोहब्बत
मेरी कामयाबी
सुनहरी रात
मेरा जन्म
बूँद
हालात
हमारा प्यार
ये दूरियाँ
अजनबी हूँ
चीख उठी है स्वयं वेदना, देख क्रूरता के मंजर । चीख उठी है स्वयं वेदना, देख क्रूरता के मंजर ।
मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से। मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से।
लो अग्नि संस्कार किया स्त्री विमर्श में अपने हाथों से लिखें पृष्ठों का। लो अग्नि संस्कार किया स्त्री विमर्श में अपने हाथों से लिखें पृष्ठों का।
राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1। राजनीति सुविधा हुई ,बनी आज व्यवसाय। मीठा-मीठा गप्प सब, कड़वा थूकत भाय।1।
हृदय का तुमको दान दिया था, जीवन तुममें जान लिया था हृदय का तुमको दान दिया था, जीवन तुममें जान लिया था
मुलजिम हो तुम अपने ही तबके की उन तमाम नवजातों की. मुलजिम हो तुम अपने ही तबके की उन तमाम नवजातों की.
बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार । बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार ।
अगन लगी हुई है,मेरे इस हृदय के बहुत भीतर। अगन लगी हुई है,मेरे इस हृदय के बहुत भीतर।
और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में। और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में।
जीवन इतना सरल नहीं जीवन इतना सरल नहीं
यह मन के जुगनू हमें कभी अस्त व्यस्त तो कभी मस्त मस्त रखते हैं। यह मन के जुगनू हमें कभी अस्त व्यस्त तो कभी मस्त मस्त रखते हैं।
नौकरी कर घर लौटती औरत बेहद थकी होती है. नौकरी कर घर लौटती औरत बेहद थकी होती है.
टूट गई मन की गागरिया टुकड़े झोली भरती। रंगहीन ले...य़ टूट गई मन की गागरिया टुकड़े झोली भरती। रंगहीन ले...य़
नाराज हूँ...!! उन तमाम बच्चों से जो फ्रस्ट्रेशन में आकर खो देते हैं अपना जीवन। नाराज हूँ...!! उन तमाम बच्चों से जो फ्रस्ट्रेशन में आकर खो देते हैं अप...
जीवन से बड़ी प्रयोगशाला इस दुनिया में और कोई नहीं है। जीवन से बड़ी प्रयोगशाला इस दुनिया में और कोई नहीं है।
आप तो सोते में भी अयोध्या धाम टहल रहे हो और मेरी हालत समझने से पल्ला झाड़ने का जुगत आप तो सोते में भी अयोध्या धाम टहल रहे हो और मेरी हालत समझने से पल्ला झाड़न...
द्रास चोटी पर विजय पर एक युद्धदृश्या - एक सजीव चित्रण द्रास चोटी पर विजय पर एक युद्धदृश्या - एक सजीव चित्रण
दूसरी कमला देवी "बेलदारी" करती है उसका पति भी वहीं "चिनाई" करता है। दूसरी कमला देवी "बेलदारी" करती है उसका पति भी वहीं "चिनाई" करता है।
पुस्तकों में जो कुछ वर्णन पढ़ा था उससे भी भीषणतम क्रूर कलियुग है। पुस्तकों में जो कुछ वर्णन पढ़ा था उससे भी भीषणतम क्रूर कलियुग है।
किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी। किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही, पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी।