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Hitesh pal

Tragedy

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Hitesh pal

Tragedy

शहर

शहर

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मुझे नफ़रत हो गयी उस शहर से

जहाँ ख़ून पसीना बहाया था

माँगा ही क्या था मैं ने

सिर्फ़ दो वक़्त की रोटी

वह भी नहीं दे पाया था

मुसीबत मे आज मेरा

गाँव ही काम आया था

मुझे नफ़रत हो गयी उस शहर से

जहाँ ख़ून पसीना बहाया था ।।



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