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Neerja Sharma

Tragedy

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Neerja Sharma

Tragedy

शहीदी

शहीदी

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शब्द कम पड़ जाते हैं

आँखे नम हो जाती हैं

तिरंगे में लिपट आती है

धरती माँ भी चित्कारती है।


ये हाथ केवल हाथ नहीं

बूढ़ी माँ की आँखें है

बूढ़े पिता की लाठी है

पत्नी का सिंदूर है।


बच्चों के सिर का साया

बहन की राखी मान

हमजोलियों का गुमान

भारत माँ की आन है ।


तुम भारत माँ के सपूत हो 

देश की आन,बान,शान हो

घर - परिवार का गुमान हो

शहीदी को शत-शत प्रणाम हो।



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