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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy

शहीद माँ का लाल

शहीद माँ का लाल

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माँ ये कैसा संदेशा आया है?

भाई के शहीद होने का संदेशा

आया है?

ये रास्ते कैसे सहमे हुए लग रहे

है ?

खेत खलिहान पे जैसे टोटे पड़े

है?

बाग बगीचे जैसे रास्ता देख रहे?

भैया के आने का रास्ता देख रहे

हैं।

क्यू ये घर ये बस्ती क्यू मुर्दा सा

लगे है?

ये फिजा में कैसी लाली छाई?

ये सूरज के तपन में कैसी नमी

आई।

ये भाभी कैसी चूड़ी तोड़ रही?

मांँ आज तेरी जैसे ममता टूट गई।

क्यू आज मेरी राखी भी रूठ गई?

ये सन्नाहट क्यू छा गया यहां?

 क्यूं इतना अशवकून हो गया

यहां?

मेरे भैया का शव को निकालो

जरा?

भैया थोड़ा सा बस मुस्कुराओ

जरा?

तिरंगे से शव को थोडा लपेटो

जरा।

कैसे बेरहम दुश्मनो ने मार दिए

हर जगह भैया के शरीर पे वार

किए।

बच्चे को घर मे ले जाओ जरा ?

मांँ भैया के अर्थी को सजाओ

जरा।

भाभी को भी थोडा समझाओ

ज़रा।

भाभी भैया को अब यूं न देखो

जरा?

बिटिया तेरा ये भैया क्यू नही बोल

रहा?

ये मातम कैसी चारो ओर सुनाई

है?

ये चीख से कान मेरी फट आई है।

देखो आज कितने सुहागीन की

मांग आज उजड़ ये आई है?

ना जाने कितनी सुहागन थी आज

विधवा बनके आई है?

ना जाने कितनो की घर आज

उजड़ गई है ना?

चंद पैसे के लिए नही मरते 

ये किसी के घर के लाल?

हम और देश महफूज रहे इसलिए

सीमा पे मर मिटते ये किसी के घर

के लाल।

मौत सी पसरी लाचारी ये चिता

भी भरती जैसे हुंकारी?

ये शव जैसे है सहमे हुए। रास्ते पे

जैसे पहरे पड़े।




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