शब्दों के मोती(लहर)
शब्दों के मोती(लहर)
लहर तो उठी थी
बादल भी गर्जे थे
बारिश भी हुई थी
उस दिन कुछ नहीं घटा था
ना पूर्णिमा थी ना अमावस्या।
सागर भी नहीं था।
लेकिन आसमानी लहर उड़ा था।
उड़ा ले गया था मेरी सुंदर आसियाना।
बिखर गया था मेरी सपनों का महल।
आसमानी लहर ले गया था मेरा लाडला राजकुमार।
कर दिया था मेरा जीवन मरुस्थल।
