शब्दों का आघात
शब्दों का आघात
शब्दों का आघात
होता है सबसे भयानक,
जब पार हो जाती है हर सीमा
ध्यान रखा न जाता है।
ऊँच नीच का, छोटे बड़े का ......
उस वक्त, उस वक्त लगता है
धरती फट जाए और हम समा जाएँ
बिना वजह जाने कहे गए अपशब्द..
व्यंग्य भाषा का असमय प्रयोग..
ऐसा आघात है
जो इंसान की इज्जत को
धूल में मिटा देता है ...
इन शब्दों के आघात से मन में पीड़ा होती है
असह्य टीस उठती रहती है।
चाह कर भी व्यक्त नहीं कर पाते
फर्क इतना है ..
कि हृदय आघात या मस्तिष्क आघात होने पर
आज हम डॉक्टर के पास चले जाते हैं
पर शब्दों के आघात से मन ही मन घुटकर
मन मसोसकर रह जाते हैं।
वैसे तो आघातों की लिस्ट बहुत लंबी है
पर कम से कम शब्द रूपी
इस आघात से
तो बचा जा सकता है
पहले सोचो फिर बोलो..
फिर ना कोई आघात होगा
ना किसी को पीड़ा होगी। आप भी प्रसन्न
हम भी प्रसन्न।