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Goldi Mishra

Tragedy

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Goldi Mishra

Tragedy

शासक बाबू

शासक बाबू

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कुर्सी के पीछे है सब भागे,

लालच और लोभ में सब बने गूंगे और अंधे,।।

जनता की आंखे भीगी पड़ी,

पर राजा को अपनी है पड़ी,

गरीब की चिता पर सबने अपनी रोटी है सेकी,

गरीब के खून पसीने की कमाई सब राजा ने अपनी जेब में समेट ली,।।

कुर्सी के पीछे है सब भागे,

लालच और लोभ में सब बने गूंगे और अंधे,।।

पहले तो अतरंगी अंदाजों में मंत्री जी ने वोट मांगे,

सत्ता पाने के बाद वो भूल गए सारे वादे,

बेरोजगारी और भुखमरी तेज़ी से बढ़ रही है,

देखो जरा मंत्री जी की ऊपरी कमाई भी तेज़ी से बढ़ रही है,।।

कुर्सी के पीछे है सब भागे,

लालच और लोभ में सब बने गूंगे और अंधे,।।

आंखो पर पट्टी बांध कर शासक जी बैठे है,

अपने घोषणा पत्र को ना जाने कहा रख भूल बैठे है,

आम आदमी की आना कमाई और खर्चा पहाड़ है,

इतनी त्राहि त्राहि है शहर में आखिर मंत्री जी कहा है,।।

कुर्सी के पीछे है सब भागे,

लालच और लोभ में सब बने गूंगे और अंधे,।।

जनता की फाइल मंत्रालयों में इधर उधर घूमती है,

सेठ बाबू की बैठे बैठे चांदी है और मेहनत करके

गरीब की चप्पल घिस जाती है,

गरीब क्या करे कहा गुहार लगाए,

मंत्री जी सो गए है कोई तो उन्हे जगाए,।।



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