शाखा नहीं है पत्ती नहीं है पर हौसले हैं आसमान में
शाखा नहीं है पत्ती नहीं है पर हौसले हैं आसमान में
शाखा नहीं है पत्ती नहीं है
पर हौसले हैं आसमान में
देखो स्वार्थी अंधे मानव
फल दिया है जग कल्याण में।।
निष्ठुर मानव मानवता खोया
नि: संदेह अभिमान में
छांव में बैठकर छायादार वृक्ष
काट दिया अपने कल्याण में।।
श्वास लिया फल लिया
मजे से खाया तान के
अंधा धंधा करने लगा
जरा सा धन के नाम पे।।
भूल गया श्वास का कर्जा
दो कौड़ी के दाम पे
सर से धर अलग कर दिया
बस स्वार्थ के नाम पे।।
शाखा नहीं है पत्ती नहीं है
पर हौसले हैं आसमान में
देखो स्वार्थी अंधे मानव
फल दिया है जग कल्याण में।।
