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VanyA V@idehi

Inspirational

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VanyA V@idehi

Inspirational

सघन है हरितिमा

सघन है हरितिमा

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सघन वृक्षदेव को सदा नमन करो।

जीवन पथ पर अग्रसर अहम करो।.


शस्य श्यामल वन को नवण प्रणाम।।

आज साढ़ सुदी छट्ट विक्रमी संवत् 


वृक्षदेव घणे उपकारी, रोकै सभी बीमारी।

पेड़ों पे निर्भर हम सब, रहती ये दुनियादारी।।


प्रदूषण को पौधे सब, नित नित हर लेते हैं।

बदले में हर प्राणी को प्राणवायु हमें देते हैं।

प्रदूषण हरके निर्माण आक्सीजन कर देते हैं।


प्राणवायु पे जीवन म्हारा प्रणाम इन्हें करते है।

वृक्ष आधारी जिन्दगी म्हारी हरण करै बीमारी।।


धरती माता जीवधारी रक्षा रक्षण करै हमारी।

स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सही रहे हमारी।


प्रदूषित जल जीव जगत में ल्यावै महामारी।

जल स्वच्छता जरूरी जीवन होवै ना बीमारी।


जल है तो कल है अनमोल जिन्दगी म्हारी।

वरना जीवन का सत्य है बड़ा दुखहारी।।


वायुमंडल स्वच्छ रहे जीवन सुखी हमारा।

स्वच्छता के ईश्वर निवासी सदगुरु देव म्हारा।।


ध्वनि प्रदूषण घणा भयंकर श्रवण हरै म्हारा।

प्रदूषण हमारे स्वस्थ जीवन से करें किनारा।।


निर्मल नभ रहे हमारा, रहै प्रत्यक्ष दृष्टि म्हारी।

जीवन पर्यन्त यही मनोकामना हमारी।।



वैद्य सुखेन चाहे धनवंतरी पौधों में भगवान।

धरा ध्यान वनस्पति में है जम्भेश्वर भगवान।


औषधीय पौधे जीवजगत स्वास्थ्य सम्मान।

स्वस्थ जीवन सुखी, जीवन है स्वाभिमान।


वृक्ष रक्षा करियो जो काटै सकल बीमारी।

इहलोक में सदा यही भावना मंगलकारी।।



प्राणवायु हमारे जीवन का होती है आधार।

घटै प्राणवायु तो दम घूटै छूटै यह संसार।


प्राणवायु का पूरक वृक्ष करना है विस्तार। 

वृक्षों की रक्षा कर सुखमय जीवन गुजार।


वृक्ष बिन नी निस्तारण चिंतित दुनिया सारी।

अपितु लक्षण यही सदा मानव प्रीतिहारी।।



पृथ्वीसिंह' एक है संकट मोचन लगायें ध्यान।

वन्य सम्पदा एक कल्याणकारी लगायें ध्यान।।



पौधारोपण-रक्षा कहै गुरु जम्भेश्वर भगवान।

वृक्ष आक्सीजन से पाओ स्वास्थ्य सम्मान।।



पेड़-पौधे है स्वास्थ्य रक्षक हो नहीं लाचारी।

वृक्षदेव घणे उपकारी, रोकै सभी बीमारी।।



पेड़ों पे निर्भर हम सब, रहती ये दुनियादारी।

संसार में प्रेम प्रदत्त है इंसान बलिहारी।।


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