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Anita Sharma

Romance

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Anita Sharma

Romance

सच्ची_प्रीत

सच्ची_प्रीत

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तुमको ही तो भोर से जीती हूँ,

तुम्हारे लबों से प्रेम सुरा पीती हूँ,

आलिंगन ओढ़कर उन बांहों का,

निश्छल प्रीत की नैया खेती हूँ,


तुमसे जुड़कर जब एहसास हुआ,

रूहानी प्रेम का मुझमें वास हुआ,

मैं भीग गयी और ऐसी डूब गयी,

हाँ! मन मिलने का आभास हुआ,


सुनो! शर्म लिहाज सब भूल गयी,

गंगाजल से मानो देह धुल ही गयी,

पवित्र हुई रूह तुममें पूर्ण समाकर,

कोमल सी कली खिलता फूल हुई,



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