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Rashmi Lata Mishra

Romance

3  

Rashmi Lata Mishra

Romance

सच्चाप्रेम

सच्चाप्रेम

2 mins
328

शालिनी कभी गौरव को लेकर कभी गंभीर नहीं थी, वह तो कॉलेज केअन्य दोस्तों की तरह ही उससे मिलती जुलती किन्तु

शायद गौरव के मन मे उसके लिए दोस्ती से कुछ ज्यादा था। इस बात का अंदाजा उसे तब हुआ जब शालिनी ने उसे अपनी शादी तय होने की बात बताई, पिता का स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण वो शालिनी की शादी जल्दी कराना चाहते थे।

शादी की बतसुन गौरव की विचलित निगाहें शालिनी से छुप न सकीं किन्तु अब तो शादी तय हो चुकी है यह सोचकर उसने

गौरव की आंखों में झाँकते प्यार को दरकिनार कर दिया गौरव ने आगे कुछ कहना चाहा तो  शालिनी ने यह कहकर उसका

मुँह बन्द करा दिया- "तुम्हें जो कहना था पहले कहते, मैं पापा के खिलाफ नहीं जा सकती।"

ससुराल में आज उसका चौथा ही दिन है लेकिन ससुराल वालों की बेरुखी, दकियानूसी विचारधारा उससे छुपी नहीं है, सासू जी का रुतबा, ननद के नखरे पति की चुप्पी...कहाँ फँस गयी क्या करूँ ?

और अंत मे नियति के आगे सर झुका आगे बढ़ गयी।

आज शालिनी का बेटा दो वर्ष का हो चुका है लेकिन अपने ससुराल वालों के लिए वह अब भी पराई है।

छोटी-छोटी बातों पे रोज झिक-झिक स्वयं के लिए भी निर्णय में बंधन, अब तो इस माहौल में घुटन सी महसूस हो रही थी, मुँह खोलने पर हंगामा बरप जाता, पति जो पहले कभी-कभार ले लेते थे, अब तो रोज ही पीने लगे थे बात झगड़ों से बढ़कर हाथापाई तक पहुँच चुकी थी और घरवाले सुलझाने की बजाय आग में घी डालते थे..

शालिनी का बेटा अब चार वर्ष का हो चुका है शालिनी अब पति से तलाक़ लेकर पिता के घर रह रही है।

अचानक एक दिन गौरव का फोन आने पर वह हैरान रह जाती है, क्योंकि इस बीच उसके बारे में उसने सोचा तक नहीं वह कहाँ है ? क्या करता है कुछ नहीं मालूम। अरे !गौरव तुम ? उसने कहा हाँ, मैं अगले महीने इंडिया आ रहा हूँ। बाकी बातें आमने-सामने होंगी।

वर्षों बाद अपने पुराने दोस्त को देख उसे खुशी तो बहुत हो रही थी किन्तु यह संकोच भी की वह अपने बारे में क्या बताए।

तभी गौरव के मुँह से यह सुन कि वह भी उसके साथ यू यस जा रही है अपने बच्चे के साथ वह भी शादी करके,उसका मुँह खुला का खुला रह गया। तभी पापा हँसते हुये कमरे से बाहर निकले। बेटा तुम्हारे बारे में इसने मुझसे ही जानकारी ली थी इसने आज तक शादी भी नहीं की पर पापा आप ?

पापा भी हमारे साथ चल रहे हैं गौरव के मुँह से सुन वह उसकी सच्ची भावनाओं व सच्चे प्रेम के आगे नतमस्तक थी।


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