Phool Singh
Crime Thriller Others
सच्चा मोती ढूँढे न, मिलता
जीवन जिंगुर की तरह टिमटिमाता हो
हठीलापन ज्यादा दिन न चलता
जल्द ही हकीकत से फिर सामना हो।
स्वयं विसर्जित कर दंभ को
जब अमृत का कुम्भ सामने हो
धरा फोड़ जैसे अंकुर निकलता
व्यक्तित्त्व ज्ञान से निखरता हो।
होली है
भीड़ अर्थात ल...
मेरे पुरूषोत्...
राम श्री राम
रामलला घर आएं
वर्तमान में स...
मजदूर
सत्य पथ
आस्था
गणतंत्र दिवस ...
कहां गलत रही मैं बाबा, कहां गलत रही मैं ? कहां गलत रही मैं बाबा, कहां गलत रही मैं ?
हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल ! हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल !
इंसानियत का इंसानियत से भरोसा उठ गया रोज़ रोज़ लड़ती है और हार जाती है जिंदगी। इंसानियत का इंसानियत से भरोसा उठ गया रोज़ रोज़ लड़ती है और हार जाती है ...
अब तुम ही, कह दो छः महीने, की है उसका, क्या छिपा लूँ...! अब तुम ही, कह दो छः महीने, की है उसका, क्या छिपा लूँ...!
किसके दम पर दबंगई करता है। किसके दम पर दबंगई करता है।
बढ़ रही है नफ़रतों की सरहदें, हम फकत करते रहे बर्दाश्त क्या! बढ़ रही है नफ़रतों की सरहदें, हम फकत करते रहे बर्दाश्त क्या!
हे भगवान ! अब आप ही न्याय करो, ये दर्द अब और सहा न जाए हे भगवान ! अब आप ही न्याय करो, ये दर्द अब और सहा न जाए
मैंने लक्ष्मण रेखा कितनी ही खींची संस्कारों की पाप के पुष्पक पर चला गया इज्जत की अर्थी मैंने लक्ष्मण रेखा कितनी ही खींची संस्कारों की पाप के पुष्पक पर चला गया इज्जत...
हर रोज स्याह होती जा रही, व्यथाओं की तस्वीर उसकी...! हर रोज स्याह होती जा रही, व्यथाओं की तस्वीर उसकी...!
आंखोंं में लहू, दिल में चिंगारी मिटा दो यह समाज की महामारी आंखोंं में लहू, दिल में चिंगारी मिटा दो यह समाज की महामारी
यूं तो हर रोज थी मगर उस दिन लगा सच में मैं थी एक गंदी गाली यूं तो हर रोज थी मगर उस दिन लगा सच में मैं थी एक गंदी गाली
जला दे उन हाथों को, जिसने फूंके तेरे पंख हैं जला दे उन हाथों को, जिसने फूंके तेरे पंख हैं
अधमरा, फिर उन महान वीरों ने कर दिया। अधमरा, फिर उन महान वीरों ने कर दिया।
मां पापा की गुड़िया खुशियाँ सारी छिन ली मां पापा की गुड़िया खुशियाँ सारी छिन ली
आपसी मनमुटावों को समाज से छीपा कर बंद दरवाजे के पीछे नासमझ बच्चों को दिखाते हैं। आपसी मनमुटावों को समाज से छीपा कर बंद दरवाजे के पीछे नासमझ बच्चों को दिखाते ह...
कैसे करते हैं दुनिया वाले खुद को बेमिसाल, हमें तो तुम बदनाम ही रहने दो कैसे करते हैं दुनिया वाले खुद को बेमिसाल, हमें तो तुम बदनाम ही रहने दो
जब लड़कियां घर के अंदर घुट घुट के मरती है, जब एक नन्ही सी जान कोई शोषण के डर से डरती जब लड़कियां घर के अंदर घुट घुट के मरती है, जब एक नन्ही सी जान कोई शोषण के डर...
केवल एक चीज शायद ही मैं कह सकता था, मैं यह मरने से पहले मौत को चखने जैसा है। केवल एक चीज शायद ही मैं कह सकता था, मैं यह मरने से पहले मौत को चखने जैसा है।
बसंत कुमार और विजय मौर्य ने दुश्मन के खट्टे दांत किए बसंत कुमार और विजय मौर्य ने दुश्मन के खट्टे दांत किए
न्यायालय को दाग लगाने वाले जब तक जिंदा हैं तब तक हम हाथों में ज्वाला लेकर भी शर्मिंदा न्यायालय को दाग लगाने वाले जब तक जिंदा हैं तब तक हम हाथों में ज्वाला लेकर...