सबंध
सबंध
कौन है अपना कौन पराया
किसे कहते हैं रिश्ता नाता
अब तक समझ न पाया,
जब भी जरूरत पड़ी
किसी की स्वार्थ ही नजर आया।
कहने को तो सब कहते हैं
मैं तेरा तू मेरा, मुसीवत में जब
अजमा के देखा कोई न पास आया,
इतनी लम्वी सूची जब देखी
एक एक को अजमाया, देखने में तो
सब अपने लगते पर सब ने स्वार्थ दिखलाया।
कामयाबी जब कभी हो जाती तो
सब तोहफे लेकर आते,
हार होने पर जब पड़े जरूरत
अपना चेहरा छुपाते,
इन रिश्तों की थाह मत पूछो
कोई नहीं माप पाया
डूबते हुए जब आबाज लगाई
कोई नहीं सामने आया,
गोते खा खा कर किनारे
पर पहुंचा
झुंड स्वार्थी पाया।
अपनेपन की आबाज लगाए
हर कोई देता धोखा,
जब तक चलते हो सब अपने हैं,
गिरने का मत दो मौका,
गिरने वालों को सुदर्शन
कोई नहीं उठाने आया,
हर रिश्ते को जांच कर देखा
स्वार्थ ही नजर आया।