साँच को नहीं आँच। साँच को नहीं आँच।
जिन्हें घबराहट है अप्रत्याशित हिंसा से जो उनके आगे सुरसा की तरह मुँह बाए हैं जिन्हें घबराहट है अप्रत्याशित हिंसा से जो उनके आगे सुरसा की तरह मुँह बाए हैं
तभी तो सरकारी कागज में सिर्फ होता भारत महान है। तभी तो सरकारी कागज में सिर्फ होता भारत महान है।
होता फिर स्नान ध्यान, भजन पूजन करवाते थे। बैठते खाना खाकर, फिर निशदिन बतियाते थे। होता फिर स्नान ध्यान, भजन पूजन करवाते थे। बैठते खाना खाकर, फिर निशदिन बतियाते...
रहो साँच कै साथ, मीत ना जीतै झूठे। रहो साँच कै साथ, मीत ना जीतै झूठे।
ऐ किस्मत मेरे साथ, तेरा क्या गिला था वो आखरी बार मुझे बिस्तर पर मिला था।। ऐ किस्मत मेरे साथ, तेरा क्या गिला था वो आखरी बार मुझे बिस्तर पर मिला था।।