सब बदल गया
सब बदल गया
सब कुछ बदल गया दर्द-ए-जिंदगी की रहमतों के बाद
हम क्यूँ नहीं संभलें जिंदगी में लाख संभलनें के बाद
वो घड़ियां बीत गयी बेमुरव्वत ख्व़ाहिशों के बाद
उल्फ़त की नज्म़ अधूरी रह गयी लाख अल्फाजों के बाद
उदासियों का आलम़ भी सजता रहा तन्हाईयों के बाद
चेहरा मुस्कुराता रहा ना जानें क्यूँ रूसवाईयों के बाद
बदल गयी नज़दीकियाँ दिलों की दिल से अपनानें के बाद
हर एक आरजू चीखती रही दर्द से भरी तडपनें के बाद
क्यूँ हर एक खूशी रूठी रहती हैं लाख मनानें के बाद
शायद जिंदगी मिलेगी यूहीं मर-मरके जीनें के बाद
