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अमित प्रेमशंकर

Abstract

4.5  

अमित प्रेमशंकर

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सैयां काहे कईला देरिया

सैयां काहे कईला देरिया

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सुना दीदी फोनवा लगा दीं

तनिका सा बतिया करा दीं

भूल गईलें मड़वा के उखियां

माई तनी जल्दी से दऊरा सजा दीं

भोरहीं से गईलें लावे चतरा बजरिया

भइले जाता अरघ के बेरिया,

सैयां कहवां कईले देरिया।

ले अईलीं बांस के डलईया

संगे में आम के पोलईया

ले अईलीं जोड़े जोड़े सुपवा

फलवा ले अईलीं बड़का भैया

बितल दोपहरी,सांझ ढलल

अब भईल जाता गदबेरिया

भईले जाता अरघ के बेरिया

सैयां कहवां कईले देरिया..

भईले जाता अरघ के बेरिया

सैयां कहवां कईले देरिया

मौसा जी दौरा सजावे

घिया के दिया जरावे

गाव

ें के अरूण अ लखन भैया

लगलैं डीजे बजावे

मामा जी कलशा ले अईलीं

हं जा के भोरे सिमरिया

भईले जाता अरघ के बेरिया

सैयां कहवां कईले देरिया

भईले जाता अरघ के बेरिया

सैयां कहवां कईले देरिया

कईला कहां एतना देरिया

पेधीं जी जल्दी पियरिया

लें लिहीं बाबुजी दऊरा

माथे बांधी के लाले पगरिया

मुन्ना के हथवा ध लीं

ए माई लमहर बाटे डगरिया

दीपू खोली जनी केंवरिया

भईले अरघा के बेरिया

करते माई के जयकरिया

चलते चलीं सौंसे रहिया

भईले जाता अरघा के बेरिया

सैयां काहे कईला देरिया.....!!



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