सावन को आज सजाना है
सावन को आज सजाना है
इस सावन को भी उम्मीदों से आज सजाना है,
मनभावन उमंगो संग उत्साही कदम बढ़ाना है,
वो भी क्या सावन था ऐसा ही कब तक गाना है,
जो आज हमारा अपना है उसको ही अपनाना है।
धरा कल भी तो सुंदर थी मौसम भी सुहाना है,
हम ही बदल गए छेड़ा कोरोना का तराना है,
भूल सभी बातों को नभ तक पेंग बढ़ाना है,
इस सावन को भी उम्मीदों से आज सजाना है।
रक्षाबंधन में ना गये तो क्या खोना क्या पाना है,
राखीसूत्र को क्या तुमने बस खिलौना जाना है,
भाई-बहन रहे सुरक्षित फिर से सावन आना है,
इस सावन को भी उम्मीदों से आज सजाना है।
यहां-वहां एक ही सावन तो क्यों रोना गाना है,
बेटी तो यहां भी ना आई, वो अभाव भगाना है,
बहू को बेटी, सास को मां, संबंध नया बनाना है,
इस सावन को भी उम्मीदों से आज सजाना है।
