सावन की रुत आई
सावन की रुत आई
सावन की रुत आई है
दिल में उमंग छाई है।
चहुँदिश में पानी-पानी
खुश वसुंधरा ये धानी।।
वृक्ष सब हैं लहलहाए
प्यारे पंछी सब हर्षाए।
समां बड़ा ही सुहावना
मौसम है बड़ा मतवाला।।
साजन भी हुए दीवाने
प्रिया को लगे वे लुभाने।
खिले बगिया में हैं फूल
खुशी का होते वे मूल।।
मिटी सबकी अब प्यास है
पूरी कृषक की आस है।
बजता रहता बादल राग
बच्चे मिलकर रहे हैं भाग।।
