'साथ'
'साथ'
हमारा साथ ऐसा है
जैसा गीत और ग़जलो का,
हमारा प्यार ऐसा है
जैसा मतलों के मिसरों का
मेरे गीतो मे तो केवल
तराने सिर्फ़ उनके है
फ़सानो से मेरे ही तो
मुक्कम्मल गज़लें उनकी है
बख़्शा रहम-ओ-करम हमपर
ख़ुदा की क्या खुदाई है
लेखों में लेखनी हमारी,
रिवायत-ऐ-नूर लाई हैं

