सारंग
सारंग
सुना है बादलों ने जिद्द की है
सूरज को निगलने की
कोई बताए इन्हें
कहीं ये खुद ही पिघल न जाएं!
जब जब उमड़ते हैं ये अहंकार में
आगोश में सबकुछ भर लेने के लिए
निकलती है एक चिड़िया
होते जिसके आठ रंग के पर
भरती है हुँकार वह
सारंग है नाम उसका,
जो न भय खाती है तनिक भी
ऐसे सारंगों से
न जाने कितने सारंगों का
संहार पहले ही कर चुकी होती हैं ये सारंगे!