"सारा ही संसार मिथ्या-झूठ"
"सारा ही संसार मिथ्या-झूठ"
यह सारा ही संसार मिथ्या ओर झूठ है
केवल बालाजी का नाम अमृत बूंद है
सब रिश्तेनाते,करते है,यहां पर लूट है
एकमात्र बालाजी की भक्ति,अवधूत है
बालाजी भक्ति करे,जो व्यक्ति अटूट है
दूर रहते उनसे सब ही इंसानी भूत है
उनके लिए तो सुख-दुःख सम रूट है
यह सारा ही संसार मिथ्या ओर झूठ है
करो आप भक्ति,मिलेगी दुःखों से मुक्ति
हृदय में नही होगी,कभी कोई टूट फूट है
जिंदगी में होगी न कभी कोई भी भूल है
बालाजी पर करना,तुम भरोसा अटूट है
शूल भी लगेंगे फिर तो तुझको फूल है
सब मोह मायाजाल के साखी रूप है
बिना स्वार्थ तो यहाँ बोलते न भूप है
जब आती गरीबी सब रिश्ते होते चुप है
दुःख से ज्यादा तो अपने देते जुत है
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वो भी मौका पाकर के लूटते खूब है
यह सारा संसार मिथ्या ओर झूठ है
केवल बालाजी का नाम अमृत बूंद है
बालाजी भक्ति तो एक ऐसी धूप है
जिसमे खिलते परमानन्द के फूल है
मन को बना निर्मल,ले हाथ मे जल
लो शपथ,छोड़ देंगे सब ही झूठ है
सत्य की पियेंगे हम तो हर बूंद है
फिर देखते है,कैसे अमावस में भी
नही उगता है,पूनम चंद्र अद्भुत है
जो लगाये सच की माथे पर धूल है
उनके तो साया भी बोलते खूब है
उसको नही डराते यम के दूत है
जो बालाजी की करे,भक्ति खूब है
बाला नाम कलियुग में,चले खूब है
जो मन पर लंगोट बांधे,करे भक्ति
उसके साथ रहते,हनुमानजी खुद है
उसको फिर किस बात का डर,लगे
जिस पर गदाधारी की कृपा बहुत है।