समय
समय
मैं नाराज़ हूँ तुमसे
बहुत तेज़ चलते हो तुम
चलते ही नहीं दौड़ते हो
मुड़कर भी नहीं देखते
पीछे रह जाती हूँ मैं
कितने निर्दयी हो तुम
कभी तरस नहीं आता
ऐसी भी क्या जल्दी?
हमेशा घोड़े पर सवार
समझ नहीं आता
कैसे चले साथ?
जितना प्रयास करती हूँ
उतना दूर जाते हो
क्या हमारी दोस्ती
नहीं हो सकती ?
क्या हम साथ साथ
नहीं चल सकते?
मुस्कुराया समय
बोला
मैं तो हर बार साथ देता हूँ
तुम छोड़ देती हो मुझे
मैने कब छोड़ा?
जब तुमने आलस किया
मुझे तो जाना ही है
मुझ से संसार जुड़ा है
मैं एक के लिए नियम
कैसे बदलूँ ?
बदलो अपने आपको
समय के साथ चलो
सब सही लगेगा
हमेशा मुझे भी
साथ पाओगी।