मन के जीते जीत है
मन के जीते जीत है
लड़ाई ख़ुद की ख़ुद से है,
की बाहर कोई नहीं दुश्मन,
तेरा है मीत भी ये ही
तेरा शत्रु भी ये तेरा ही मन।
जो तूने साधा है इसको,
ये तुझको जीत ही देगा,
बड़ा ही चंचल भी तो है,
की सब कुछ छीन भी लेगा।
पराजय हर में इसकी,
जीत इसकी विजय में है,
सफलता नतमस्तक ही होगी,
जो तूने जीता ख़ुद का अहं।
लड़ाई ख़ुद की
ये मन जो चाहे जीत ले,
सूरज ये चंदा आसमां,
तू अकेला है कहाँ,
ये मन ही तेरा कारवां।
रास्ते बनाता भी है ये,
गुमराह भी ये ही करे,
ये पथ-प्रदर्शक भी बनेगा,
इस पर रखा जो तूने नियंत्रण।
लड़ाई ख़ुद की
इस मन में ही है साधना,
भटकाव भी इसमें ही है,
इसमें उपजती कामना,
ठहराव भी इसमें ही है।
राजा बना सकता तुझे है,
रंक भी ये ही करे,
जीता लेगा ये जहां तू,
जब तू जीत लेगा अपना ये मन
लड़ाई ख़ुद की।