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Minal Aggarwal

Tragedy

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Minal Aggarwal

Tragedy

सांसों की तारें सी

सांसों की तारें सी

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सांसों की तारें सी

खींच ली हैं

आत्मविश्वास भी 

डगमगा सा रहा है 

एक हंसता खेलता 

मुस्कुराता हुआ दिल था 


लेकिन तिरस्कार और 

अपमान की मार 

बेमतलब है इतनी कि 

इसे रोना आ रहा है 

किसी को शारीरिक 

यातनायें देना 

मानसिक कष्ट पहुंचाना भी तो

एक तरह का गुनाह ही है 


पैसों का लालच 

भौतिकतावाद का सुख 

भोग विलासिता की

प्रबल इच्छायें

आत्मकेन्द्रित सोच

यह सब विकार इतने 

घिनौने हैं कि 

रिश्तों को भी 


रास्ते से हटाने में और 

उनका खून करने से नहीं 

हिचकिचाते

प्यार भरे दिल और 

ममता भरी नजर का 

महत्व नहीं समझते 

कांटों भरी राह पर 


खून में लथपथ 

पांव लिए

चलते हैं 

फूलों की हसीन वादियों सी

मंजिल को 

हासिल करने के 

दिल में ख्वाब लिए।


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