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Kalpana Misra

Romance

5.0  

Kalpana Misra

Romance

साँसों का बंधन

साँसों का बंधन

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आओ हम तुम दोनों मिलकर

एक बार फिर जी लें पल- भर।

तुम अपनी साँसों से छू लो

मुझ को चन्दन सा महका कर।


सुधियों की गठरी थामे मैं

अब तलक वहीं पर खड़ी हुयी हूँ।

जो बंधन तोड़ दिया था तुमने,

मैं उस से ही बंधी हुयी हूँ।

चला गया जो साथ तुम्हारे,

लम्हा लौटा दो वापस आकर।

तुम अपनी साँसों से छू लो

मुझ को चन्दन सा महका कर।


आओ हम तुम दोनों मिलकर

एक बार फिर जी लें पल- भर।

तुम अपनी साँसों से छू लो

मुझ को चन्दन सा महका कर।


चाँद गवाही देगा तुम को

मेरी तन्हा रातों की

और उम्र भर मिला मुझे जो

दर्द की उन सौगातों की।

सदियों से यूं जग रही हूँ

मुझे सुला दो थपकी देकर।

तुम अपनी साँसों से छू लो

मुझ को चन्दन सा महका कर।


आओ हम तुम दोनों मिलकर

एक बार फिर जी लें पल- भर।

तुम अपनी साँसों से छू लो

मुझ को चन्दन सा महका कर।



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