Kalpana Misra

Others

4.9  

Kalpana Misra

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मेरे दोस्त

मेरे दोस्त

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यादों के गहरे सागर से,

कुछ मोती चुनकर लायी हूँ।

शिकवे-शिकायतें दूर हुये

मैं हँसी- ठहाके लायी हूँ।


वो रूठ गया, ये मान गया

इससे कुछ – कुछ छिपा लिया

और राज उसे कुछ बता दिया।

अपने और पराए का सब,

भेद मिटा- कर आयी हूँ।


यादों के गहरे सागर से ,

कुछ मोती चुनकर लायी हूँ।


मेरी आँखों के आँसू जब

उसकी आँखों से निकले।

मुस्कान सजा कर होठों पर

हम साथ – साथ ही बह निकले।


मेरी खुशियाँ सब उसकी हैं,

मैं उसके गम की परछाई हूँ।

यादों के गहरे सागर से,

कुछ मोती चुनकर लायी हूँ।


आज पुरानी राहों से

अक्सर आवाजें आती हैं।

कुछ दोस्त बुलाते हैं मुझको

कुछ याद पुरानी आती है।


अपने अनमोल खजाने से

मैं मोती चुनकर लायी हूँ।

आओ महफ़िल फिर साज जाये

यारों तुम्हें बुलाने आयी हूँ।


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