मेरे दोस्त
मेरे दोस्त


यादों के गहरे सागर से ,
कुछ मोती चुनकर लायी हूँ ।
शिकवे-शिकायतें दूर हुये
मैं हँसी- ठहाके लायी हूँ ।
वो रूठ गया, ये मान गया
इससे कुछ – कुछ छिपा लिया
और राज उसे कुछ बता दिया ।
अपने और पराए का सब ,
भेद मिटा- कर आयी हूँ ।
यादों के गहरे सागर से ,
कुछ मोती चुनकर लायी हूँ ।
मेरी आँखों के आँसू जब
उसकी आँखों से निकले ।
मुस्कान सजा कर होंठों पर
हम साथ – साथ ही बह निकले ।
मेरी खुशियाँ सब उसकी हैं ,
मैं उसके गम की परछाई हूँ ।
यादों के गहरे सागर से ,
कुछ मोती चुनकर लायी हूँ ।
आज पुरानी राहों से
अक्सर आवाजें आती हैं ।
कुछ दोस्त बुलाते हैं मुझको
कुछ याद पुरानी आती है ।
अपने अनमोल खजाने से
मैं मोती चुनकर लायी हूँ ।
आओ महफ़िल फिर साज जाये
यारों तुम्हें बुलाने आयी हूँ ।